ऊंची है बिल्डिंग...बाकी सब चौपट है!Dec 17, 2012, 08.00AM IST
कितनी है बिल्डिंग्स : जानकारों के मुताबिक, जिले में 6 फ्लोर से ज्यादा की 272 बिल्डिंग्स हैं। जबकि 6 फ्लोर से नीचे वाली बिल्डिंग्स की संख्या 500 से भी ज्यादा है। इनमें जीडीए की 18 बिल्डिंग्स अलग से हैं। हालांकि जीडीए ने अब तक सिर्फ 27 बिल्डिंग्स को कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया है। ज्यादातर मल्स्टिोरी बिल्डिंग प्राइवेट कंपनियां ही बनाती हैं। अथॉरिटी का काम इनका मैप अप्रूव करना और मटीरियल की जांच का होता है।
पुराने हादसे
1992 : इंदिरापुरम में जीडीए की निर्माणाधीन बिल्डिंग गिर गई थी। जांच के बाद कई अफसर सस्पेंड।
2009 : राजेंद्र नगर में अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग गिरी, 4 की मौत। पिलर के नीचे की मिट्टी की टेस्टिंग नहीं की गई थी।
2011 : जुलाई में शालीमार गार्डन एक्सटेंशन-2 में 4 फ्लोर की निर्माणाधीन बिल्डिंग गिरी। 4 की मौत। जांच में पता चला कि बिल्डिंग रेत पर बन रही थी। घटिया क्वॉलिटी के सरिया इस्तेमाल किए गए थे। चिनाई में 1:4 की जगह 1:8 का मसाला यूज हो रहा था।
यह है पूरा प्रॉसेस : प्राइवेट कंपनियों को बिल्डिंग बनाने के पहले मैप बनाकर उसे जीडीए से अप्रूव कराना होता है। बिल्डिंग 8 फ्लोर से ज्यादा की है तो उसका डिजाइन किसी प्रतिष्ठित फर्म या इंस्टिट्यूट से बनवाया जाना चाहिए। वहीं 8 फ्लोर से नीचे वाली बिल्डिंग के लिए जीडीए से एफिलिएटेड आर्किटेक्ट से मैप बनवाया जाता है। जीडीए की यह जिम्मेदारी है कि वह समय-समय पर बिल्डिंग का निरीक्षण करे। इसमें मटीरियल का ध्यान रखा जाता है। बिल्डर्स को जीडीए से मटीरियल टेस्टिंग का सर्टिफिकेट लेना होता है। टेस्टिंग में ईट और खासतौर पर मिक्सर को देखा जाता है।
पुराने हादसे
1992 : इंदिरापुरम में जीडीए की निर्माणाधीन बिल्डिंग गिर गई थी। जांच के बाद कई अफसर सस्पेंड।
2009 : राजेंद्र नगर में अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग गिरी, 4 की मौत। पिलर के नीचे की मिट्टी की टेस्टिंग नहीं की गई थी।
2011 : जुलाई में शालीमार गार्डन एक्सटेंशन-2 में 4 फ्लोर की निर्माणाधीन बिल्डिंग गिरी। 4 की मौत। जांच में पता चला कि बिल्डिंग रेत पर बन रही थी। घटिया क्वॉलिटी के सरिया इस्तेमाल किए गए थे। चिनाई में 1:4 की जगह 1:8 का मसाला यूज हो रहा था।
यह है पूरा प्रॉसेस : प्राइवेट कंपनियों को बिल्डिंग बनाने के पहले मैप बनाकर उसे जीडीए से अप्रूव कराना होता है। बिल्डिंग 8 फ्लोर से ज्यादा की है तो उसका डिजाइन किसी प्रतिष्ठित फर्म या इंस्टिट्यूट से बनवाया जाना चाहिए। वहीं 8 फ्लोर से नीचे वाली बिल्डिंग के लिए जीडीए से एफिलिएटेड आर्किटेक्ट से मैप बनवाया जाता है। जीडीए की यह जिम्मेदारी है कि वह समय-समय पर बिल्डिंग का निरीक्षण करे। इसमें मटीरियल का ध्यान रखा जाता है। बिल्डर्स को जीडीए से मटीरियल टेस्टिंग का सर्टिफिकेट लेना होता है। टेस्टिंग में ईट और खासतौर पर मिक्सर को देखा जाता है।
गोलमाल है भाई सब गोलमाल है : सूत्रों के मुताबिक, प्राइवेट बिल्डिंग्स का मैप अगर 6 स्टोरी का होता है तो बिल्डिंग 9-10 फ्लोर की बनती है। घालमेल सिर्फ टैक्स बचाने के लिए है। अभी तक जीडीए से केवल 27 बिल्डिंग्स के कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिए गए हैं। जबकि कुछ बिल्डिंग्स को सर्टिफिकेट देने की प्रक्रिया जारी है।
'डिजाइन पर निर्भर है मजबूती' : जीडीए के टाउन प्लैनर एस. के. जमान के अनुसार, बिल्डिंग की मजबूती उसकी डिजाइन पर निर्भर है। डिजाइन आईआईटी या बीआईटी के स्पेशलिस्ट से तैयार करानी चाहिए।
' खाली स्पेस पर पार्किंग , बेसमेंट में शॉप ' : गाजियाबाद आरडब्ल्यूए फेडरेशन के चेयरमैन कर्नल टी . पी .त्यागी ने बताया कि सिटी में हाइराइज सुरक्षित नहीं हैं। हाइराइज के चारों तरफ 6 मीटर जगह खाली होनीचाहिए , लेकिन इसे पार्किंग स्पेस बना दिया जाता है। बेसमेंट में पार्किंग की जगह शॉप बना दी गई हैं। भूकंप सेनिपटने के लिए हर हाइराइज में नीचे से ऊपर तक एक कंक्रीट की सीयर वॉल होनी चाहिए। जबकि वह होतीनहीं। इस बारे में जिला स्तर पर एक कमिटी बनी थी , लेकिन उसकी मीटिंग 1 साल से नहीं हुई है।
कहां करें शिकायत : अवैध निर्माण की शिकायत जीडीए की वेबसाइट www.gdaghaziabad.com पर की जासकती है। शिकायतों को helplinegda@gmail.com और vcgda.ghaziabad@yahoo.in पर मेल भी कियाजा सकता है। फोन नंबर 01206450580 पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके अलावा जीडीए केस्वागत कक्ष में लिखित शिकायत भी दी जा सकती है। यह सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक काम करता है।
'डिजाइन पर निर्भर है मजबूती' : जीडीए के टाउन प्लैनर एस. के. जमान के अनुसार, बिल्डिंग की मजबूती उसकी डिजाइन पर निर्भर है। डिजाइन आईआईटी या बीआईटी के स्पेशलिस्ट से तैयार करानी चाहिए।
' खाली स्पेस पर पार्किंग , बेसमेंट में शॉप ' : गाजियाबाद आरडब्ल्यूए फेडरेशन के चेयरमैन कर्नल टी . पी .त्यागी ने बताया कि सिटी में हाइराइज सुरक्षित नहीं हैं। हाइराइज के चारों तरफ 6 मीटर जगह खाली होनीचाहिए , लेकिन इसे पार्किंग स्पेस बना दिया जाता है। बेसमेंट में पार्किंग की जगह शॉप बना दी गई हैं। भूकंप सेनिपटने के लिए हर हाइराइज में नीचे से ऊपर तक एक कंक्रीट की सीयर वॉल होनी चाहिए। जबकि वह होतीनहीं। इस बारे में जिला स्तर पर एक कमिटी बनी थी , लेकिन उसकी मीटिंग 1 साल से नहीं हुई है।
कहां करें शिकायत : अवैध निर्माण की शिकायत जीडीए की वेबसाइट www.gdaghaziabad.com पर की जासकती है। शिकायतों को helplinegda@gmail.com और vcgda.ghaziabad@yahoo.in पर मेल भी कियाजा सकता है। फोन नंबर 01206450580 पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके अलावा जीडीए केस्वागत कक्ष में लिखित शिकायत भी दी जा सकती है। यह सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक काम करता है।
From NBT Ghaziabad 17 Dec 2012
__._,_.___
For latest updates do visit official CROMA website at:
http://www.croma.org.in
Also, do register at the CROMA site, if not done already:
http://www.croma.org.in/member-registration/
[IMP: People posting ads for promotion of their business or of commercial-only nature will be banned/unsubscribed without any warning or clarification]
http://www.croma.org.in
Also, do register at the CROMA site, if not done already:
http://www.croma.org.in/member-registration/
[IMP: People posting ads for promotion of their business or of commercial-only nature will be banned/unsubscribed without any warning or clarification]
.
__,_._,___